है कहाँ?
है कहाँ?
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भटका जो नाख़ुदा तो साहिल पाता है कहाँ,
अपने माज़ी को बताइये भूला पाता है कहाँ?
टकराया था तूफ़ान कभी इस साहिल से के,
अब भटके भी तो कोई तूफ़ाँ आता है कहाँ?
इस गुलशन के वीराने को न यूँ देखिये हुज़ूर,
बहारों का उजाड़ा, गुल खिला पाता है कहाँ?
जिसके अश्क़ भी निकलते हैं, मुस्कुराते हुए,
अपने लबों से अब खिलखिला पाता है कहाँ?
हर दोस्त ने इक मोड़ पे आ कर साथ छोड़ा,
तू ही बता दे ज़िंदगी हर दोस्त, जाता है कहाँ?