अखबार
अखबार
कलम सहाफ़ी की जब किर्तास पे चले,
सच आएगा छपकर, इस आस से चले!
बिकने को मगर, तैयार थीं, सभी ख़बरें,
झूठ छपा अखबार में, दबीं, सही ख़बरें!
पहले बिक रहा था, तेल, नमक, साबुन,
अब सियासत बेच रहे सहाफ़ी चुन-चुन!
ग़ैरत अखबार की है अब गिरती जा रही,
ज़रा चाय संभालो देखो खबर है आ रही!
शब्दार्थ: किर्तास : काग़ज़; सहाफ़ी : पत्रकार