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Himanshu Sharma

Abstract Romance

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Himanshu Sharma

Abstract Romance

वहीँ थम गई

वहीँ थम गई

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मंज़िल जो मिल गई तो राह वहीँ थम गई,

तू जो मिली मुझको तो चाह वहीँ थम गई !


यहाँ अफ़वाह थी, तेरा मुझको चाहने की,

तेरे इज़हार से तो, अफवाह वहीँ थम गई !


जब मालूम पड़ा कि कल तुझसे जुदाई है,

मैंने जो दी सदा, रात स्याह वहीँ थम गई !


रोक लूँ तुझको न जाने दूँ कहीं भी "क़ैस",

मैंने ये सोचा कि तू लिल्लाह वहीँ थम गई !

शब्दार्थ: लिल्लाह : ईश्वर के नाम पर


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