तू रुक, मत कूद!
तू रुक, मत कूद!
वो देख, कितनी बड़ी लहरें हैं,
कितना गहरा है ये पानी,
ये जो बाँध है न, हर लेगा तुझे,
भाई तू रुक मत, कूद!
यही तो तू सोच रहा है इतने दिन से,
आज़ाद हो जाये तू अपने गम से,
तुझे जीने का कारण ढूंढना तो है नहीं,
भाई तू रुक मत, कूद!
यही सोचा था तूने उस वक़्त,
जब तू हुआ था विफल उस परीक्षा में,
और जब छोड़ गयी थी वो तेरा हाथ.
भाई तू रुक मत, कूद!
और तूने तब भी यही सोचा था,
जब तेरे पास उधारियाँ बहुत थी,
और जब उस अमीर ने उड़ाया था मज़ाक तेरा,
भाई तू रुक मत, कूद!
क्या करना मुझे, हूँ कौन मैं तेरा,
बस एक दोस्त ही तो हूँ मैं,
जो बस तेरे लिए खड़ा रहा हमेशा,
भाई तू रुक मत, कूद!
और तो तेरा बेचारा बाप,
कमर से टेढ़ा, झुका हुआ?
जिसने धोड़ा बन, बना तेरे बचपन का खिलौना?
भाई तू रुक मत, कूद!
और मर जाना है तेरी उस माँ को भी,
जो है बेचारी दिल की मरीज़,
और लगा राखी थी अपने सीने दे तुझे हर तकलीफ में!
भाई तू रुक मत, कूद!
बहुत छोटी है न तेरी ये ज़िन्दगी,
बिना किसी कीमत की,
बिना किसी काम की,
भाई तू रुक मत, कूद!
मत सोच किसी का तू,
मत सोच अपनी बहन, अपने भाई का,
मत सोच तूने जीते थे कौन से किले,
भाई तू रुक मत, कूद!
जब तू दौड़ा था, और ऐसा दौड़ा की सोना ले आया था,
और जब तू गया था वो गीत जो रुला गया था सब को,
तू ही तो था जो चौड़ में अपने टीचर को पढ़ा आया था,
पर भाई तू रुक मत, कूद!
क्या कुछ नहीं किया तूने
अपनी मरती भतीजी को बचाने,
ये भी याद दिलाना पड़ेगा क्या तुझे?
पर भाई तू रुक मत, कूद!
जी तो करता है की थप्पड़ मार बैठा दू तुझे,
पर तेरा फैसला तो अटल है न,
गुस्सा कर के भी कुछ होना है नहीं,
भाई तू रुक मत, कूद!
तेरी वो छोटी छोटी कामयबियाँ
जो हौसला देती हैं हम सब को,
कुछ याद रहोगे या मैं ही फेक दू नीचे,
सुन रहे हो भाई, तू रुक मत, कूद!
इतनी सी ही तो हैं न ज़िन्दगी तेरी,
अरे ढूंढ ले तू हमे में अपने जीने की वजह,
बहुत कुछ है यहाँ जीने को, तू ढूंढ,
अब कह रहा हूँ, भाई तू रुक, मत कूद!
पर भाई तुझे क्या,
अपने बाद सोचने दे हम सब को.
क्यों तूने की आत्महत्या!
क्या यही एकमात्र समाधान था?