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Punit Singh

Inspirational

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Punit Singh

Inspirational

सीख रहा हूँ

सीख रहा हूँ

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देख ही तो रहा हूँ मैं

इन पौधों का उगना,

खेतों का लहलहाना,

बारिश का गिरना,

और हवाओं का चलना,

देख ही तो रहा हूँ मैं।


कितनी लगन है उन पौधों में,

कितनी उमंग है उन खेतो में,

कितनी रिक्तता है उन बूंदों में,

और कितनी शैत्य है उन हवाओं में,

सीख ही तो रहा हूँ मैं।


इन झरनो का गिरना,

चिड़ियों का गाना,

बिजलियों का गिरना,

और माझी का गुनगुनाना,

सुन ही तो रहा हूँ मैं।


कितनी उत्तेजना है इन झरनों में,

कितनी उत्कंठा है उन गानों में,

कितनी भीति हैं उन गर्जनाओं में,

और कितनी प्रत्याशा हैं उन सुरों में,

सीख ही तो रहा हूँ मैं।


क्या बताऊँ क्या क्या सीख रहा हूँ,

जीवन एक पाठशाला है,

इसके ज्ञान से भीग रहा हूँ मैं,

सारे राज़ समझ रहा हूँ मैं,

जीवन को सीख रहा हूँ मैं।


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