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Punit Singh

Inspirational

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Punit Singh

Inspirational

क्या बदला

क्या बदला

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आज काफी दिन हुए ठंड भारी गहरी सांस लिए,

और बड़े दिन बाद मन के सागर में तूफान नहीं हैं,

कुछ मध्दम सी हिलोरें जरूर हैं, और धुंध के बादल नहीं हैं,

महीनों बाद लगा की अभी उम्मीद ने साथ ना छोड़ा है मेरा।


आज जब बैठा हूं सर्दी की रात में काश लेने,

सोच रहा हूं क्या बदला एक चंद लम्हों की बात ने,

हौसला है मन में, एक उमंग, एक तरंग है,

महीनों से पनपा मन में वो भय नहीं है।


मुस्कान है, चमक है चेहरे पर, और एक शांति का भाव है,

जाने वाले पूछ भी लिए की क्या हुआ, बड़े खुश दिख रहे हो!

क्या बताऊं उन्हें की कोई मेरा पूरा डर ले गया,

बस मन ही मन तेरा धन्यवाद कर दि या मैंने।


पत्नी से बताने में डरता था कि वो मेरी परेशानी में परेशान होगी,

परिवार से भी अपना भय छुपा रखा था मैंने, उनके हौसले के लिए,

पर याद रखूंगा तेरी बातें, तेरी राय मैं, और तुम्हारी समझ,

जीवन की इस राह ने दे दिया तुमसा एक मित्र, एक गुरु।


मैं धन्यवाद करने में माहिर नहीं, बस कविता करना जानता हूं,

बस इसी कोशिश में लिख दिए हैं चंद शब्द मैंने,

व्यक्त करता हूं इसी माध्यम से तेरे एहसान का आभार मैं,

ज़ाया नहीं जाने दूंगा तेरा यह प्रयास, वादा करता हूं मैं।


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