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V. Aaradhyaa

Inspirational

4.0  

V. Aaradhyaa

Inspirational

सुआयुष बनो

सुआयुष बनो

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देव शनि सा नहिं देव दयालु सखे,

   चित कोमल नाथ सदा करते।


निबलों विकलों अरु दीनन के,

    हिय में वस दिव्य प्रभा भरते।


शनिदेव सुआयुष देत सब,

     जग की विपदा जड़ से हरते।


नहिं वक्र, सुदृष्टि करे कब,

    झरना जस नाथ सदा झरते।



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