" दूसरो के लिए बदलना नहीं।"
" दूसरो के लिए बदलना नहीं।"
तुम्हें दूसरों के लिए बदलना नहीं,
तुम्हें समझे नहीं, उसके लिए जीना नहीं।
जो तुम्हारी चाहत को समझ ना सके,
उसके लिए तुम्हें मरना नहीं।
जो तुम्हारे प्यार की कभी कद्र ही ना करे,
उस पर कभी जान न्योछावर करना नहीं।
जो मुश्किलों में तुम्हें साथ ही ना दे,
उसके रंग में कभी ढलना नहीं।
जो तुम्हें बीच राह में छोड़ के चल दे,
उसके साथ दो कदम भी चलना नहीं।
जो बात बात में बातों का बतंगड़ बनाए,
उसके साथ बातों में उलझना नहीं।
