STORYMIRROR

Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Tragedy

4  

Meenaz Vasaya. "મૌસમી"

Tragedy

"एक जैसी नही होती सबकी तकदीर।"

"एक जैसी नही होती सबकी तकदीर।"

1 min
253

सबकी आंखों में होता है सपनो का अंबार,

करने को साकार मेहनत करते हैं लगातार।

तकदीर सब की कहां एक जैसी होती है!

किसी को जीत मिलती है तो किसी को हार।

प्रयास करते है फिर भी नहीं मिलती मंजिल,

सबके नसीब में कहां होता है सुखी संसार।

सबके दिल में आसमा छूने का होता है अरमान

पर सबको नहीं मिलता सब का सहकार।

हर घड़ी हर पल टूटता है विश्वास उनका,

जिनको दुनियां में किसी का नही होता आधार।

किसीको मिलती चादर फूलो की तो किसी को कांटो की,

कहां होती है दुनिया मे सबकी एक जैसी तकदीर।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy