"कहा छोड़ सके उसकी यादों की लहर!"
"कहा छोड़ सके उसकी यादों की लहर!"
नया शहर,नए लोग,नया माहौल है,
फिर भी दिल में अपनो की यादों की धमाल है।
इतना सरल कहा है अपनो को भूल पाना !
इतना सरल कहा है इधर आके बसना !
मुझे याद आते है मेरे आंगन के पौधे,
वो हसता हुआ गुलाब और मुस्कुराती मधु मालती।
मुझे याद आते है अपनो के साथ बिताए हुवे पल,
याद आती है मुझे वो घर की दिवाले पल पल।
लहेरो की तरह यादें दिल से टकराती है,
ऐसे लगता है जैसे धड़कन रुक जाती है।
मुझे याद आती है वो पंखियो की चहेक,
मुझे याद आती है वो मोगरे की महेक।
सपनो को पूरा करने के लिए छोड़ा अपना शहर,
पर कहा छोड़ सके हम उसकी यादों की लहर !
याद आता है मुझे अपनो के साथ गुजारा हुआ वक्त,
बस अपने तो दिखते ही नहीं, उसकी यादें है फकत !