किसने क्या खोया पाया अब ये बताना छोड़ दे। किसने क्या खोया पाया अब ये बताना छोड़ दे।
मुझे भी ये बहुत अच्छा लगता है दूर रह कर भी पास सा उलझना मुझे भी ये बहुत अच्छा लगता है दूर रह कर भी पास सा उलझना
कल जो हुआ आज उसे भूलकर आगे बढ़ते जाना है, कल जो हुआ आज उसे भूलकर आगे बढ़ते जाना है,
डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी
किसी दूसरे गोले ( ग्रह) का प्राणी तू तेरी हस्त रेखा भी अजीब रोज ही मिटती है या सपाट किसी दूसरे गोले ( ग्रह) का प्राणी तू तेरी हस्त रेखा भी अजीब रोज ही मिटती ह...
अब वह यही तो बनकर रह गई है महज इक कठपुतली! अब वह यही तो बनकर रह गई है महज इक कठपुतली!