वो आदमी...
वो आदमी...
जीवन में बहुत सारी चीज़ें ऐसे ही खो गई
बिना बताए हुए,
जैसे कि.. वो आदमी ,
जब लोग ज्यादा जागरूक नहीं थे,
इतनी संगोष्ठियां / सेमीनारें भी नहीं होती थी तब
पानी, हवा, ओजोन..
इतनी चर्चा में नहीं थे तब,
फिर भी, हवा ,पानी.. सब साफ था,
वो आदमी नहीं जानता था
नदियों के नाम,
उसे नहीं पता था
समुद्र तक जाने का रास्ता,
वो नहीं उलझना चाहता था
अंतरिक्ष की भूल-भुलैया में,
उसे याद नहीं थे
जीवन के सभी फोर्मूले ,
उसके लिए कोई मायने नहीं थे
ब्रेकिंग न्यूज़ के ,
डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था,
फिर भी..
तब इन पर कोई बहस नहीं थी !!
अब..
सबको "सब कुछ" पता है,
पर, सच में-
कहीं खो गया "वो आदमी"
इको-फ्रैंडली एट्मोसफेयर में,
अब तक नहीं मिला,
..तुमने देखा क्या !!
..मिले तो बताना !!
