प्रेम का पता
प्रेम का पता
प्रेम रहता कहां है
संभालकर रखी हुई कविताओं में
या अनकही पंक्तियों में
मिलने की अनंत प्यास में
या इंतज़ार में
जरूरी नींदों के देखें गए सपनों में
या कुछ करने की कल्पनाओं में
आंसूओं के गीलेपन में
या सुकून के पलों में
तेरी-मेरी रोजमर्रा की बातों में
या कुछ खास मुलाकातों में
कुछ जरूरी निभाए गए वचनों में
या ढेरों शिकायतों में
जवाबों की तलाशों में
या अनुतरित सवालों में
जीवन की सुबहों में
या अंत की रातों में
ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं
और मनुष्य तलाश में है इसकी !