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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Inspirational

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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Inspirational

तुमने बचाए रखा मनुष्यता को..

तुमने बचाए रखा मनुष्यता को..

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जबकि तुमने बचाए रखा मनुष्यता को !

सुनों कविताओं

जबकि

हिम्मत बंधाने की बजाय

दहशतों के कारनामे गिना रहे थे लोग

तुमने प्रेम से सहलाये कंधे

मनुष्यता के

तुमने उखडती सांसों को बचाया

सांत्वनाओं के ऑक्सीजन से !


जबकि

हम बंद रहे

अपने ही घर में

तुमने खुलेआम

ज़ारी रखी

सभी से वार्तालापें मन की

और नहीं डगमगाने दिया

भीतर का सकारात्मक रुझान

किसी भी कीमत पर !!


सुनों कविताओं

जबकि

हर कहीं गिनीं जा रही हैं

सिर्फ संख्याएं ही

तुमने कहीं-न-कहीं बचाए रखा

मनुष्यता को

सही से !


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