नदी की अभिलाषा..
नदी की अभिलाषा..
नदी की अभिलाषा
मैं नदी सी
नहीं विलीन होना चाहती
किसी खारे से समुंदर में
वैसे भी
उसके पास कोई कमी नहीं है
पानी की !
इससे तो बेहतर है
कि मैं भटकती रहूं
किसी "प्यासे रेगिस्तान" में !
क्योंकि कभी-कभी
तृप्त होने की अपेक्षा
तृप्त करना ज्यादा श्रेयस्कर होता है,
वैसे भी
करुण होने का संताप
हम स्त्रियों के हिस्से में ही है
जन्म से ! है न !