विश्वास हमारा-तुम्हारा
विश्वास हमारा-तुम्हारा
मत सुनो मेरे प्रश्नों को..
मत उलझो मेरे तर्क-वितर्कों में..
मत देखो मेरी आंखों की तरफ..
एकतरफा खिसका दो मेरी सारी शिकायतें..
बस एक पल को ही..
ज़रा सा ही..
स्पर्श तो करो हथेलियों से अपनी
मेरी हथेलियों पर रखा
वो "अनमना सा हरापन" ,
यकीनन पल्लवित होने लगेगी
हमारे विश्वास की अमर बेल !!

