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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance Fantasy

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नमिता गुप्ता 'मनसी'

Abstract Romance Fantasy

हम आएंगे तो..

हम आएंगे तो..

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जब तप जाओगे तुम

समय के अवरोधो से

तुम्हारे आस-पास

धधक रही होगी लू,

सिकुड़ जाएंगे सारे वृक्ष,

अनाथ हो जाएंगे जंगल,

सूख जाएंगी सारी नदियां,

समुद्र भी फेर लेगा मुंह ,

..बनकर बूंदें बरस जाएंगे हम

बस, देना वचन

कि बनने देना पानी से "पानी" ,

सुनो..हम आएंगे तो !!


जब भी थक जाएं तुम्हारे शब्द चलते-चलते

न रहे बाकी उनमें

भावनाएं.. संवेदनाएं..

छूट गये हों पीछे कहीं

उद्देश्य उनके ..

..हम फिर से देंगे एक सोच नई

बिखरा देंगे कविताएं ,

.. और आयाम नये-नये ,

बस, पहचान लेना

हम होंगे तुम्हारी मौलिकताओं में ही ,

यहीं-कहीं

सुनो..हम आएंगे तो !!



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