कुशल बहु तेरे माँ -बाप भी न लगाएँगे हॉस्पीटलों के फेरे। कुशल बहु तेरे माँ -बाप भी न लगाएँगे हॉस्पीटलों के फेरे।
जिंदगी में ख़्वाब और हक़ीक़त रेल की पटरियों जैसे होते है.... साथ होकर भी दूरी बनाकर रहते जिंदगी में ख़्वाब और हक़ीक़त रेल की पटरियों जैसे होते है.... साथ होकर भी दूरी बनाक...
डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी डिप्रेशन तो वो जानता ही नहीं था, फिर भी.. तब इन पर कोई बहस नहीं थी