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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Romance

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Romance

छोड़ दे

छोड़ दे

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कह दो अपने चांद से जलवा दिखाना छोड़ दे।

इस कदर से चोट दिल पर तो लगाना छोड़ दे।।


माना तेरी नजर में गुनहगार कम न था,

एक जिंदा लाश हूँ अब तो सताना छोड़ दे।


कभी प्रेम डगर के हमराही थे हम दोनों,

किसने क्या खोया पाया अब ये बताना छोड़ दे।


माना कि वक्त ने कुछ बदली है ऐसी करवट,

साहिल से दूर कैसे अपना सफीना छोड़ दे।


'केहरी' चांदनी से भी नफरत होने लगेगी,

उनकी यादों से अब तो उलझना छोड़ दे ।।



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