दीपावली
दीपावली
मेरे रंग भरे दीपों से अमावस की रात हो गयी उजियारी,
हर अंधेरा दीपावली के दीयों की रोशनी ने हर लिया !!
घर पृथा क्यों न हो, लौ की मर्यादा और रंग एक सा है !
रोशनी गरीब, अमीर के घर की सदा एक सी रहेगी !!
दीप सोने, चांदी, मिट्टी कोई भी हो, बाती रुई की है !
लक्ष्मी जी हर हाल में प्रसन्न हो सबके द्वार आ गयी !!