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Bhagwati Saxena Gaur

Inspirational

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Bhagwati Saxena Gaur

Inspirational

मोबाइल

मोबाइल

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 पंछी कहे पुकार के, तू क्या बांधे मोहे,

इक दिन ऐसा आ गया, मोबाइल ने बांधा तोहे !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


कठपुतली हर कोई बना, अदृश्य डोर बंधी,

चमत्कार ऐसा हुआ, पिंजरे बैठा मानव !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


दीवाने सब बन गए, अमीर हो या हो गरीब,

सोशल मीडिया के आगे, पानी भरे सब गेम !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


रिश्ते अहम में बह गए, मित्र बने मनमीत,

डिजिटल ने तो दे दिया मोबाइल का उपहार !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


चिट्ठी लिखना भूल गए, मैसेज से काम चलाये,

इमोजी से मुस्करा, उसी से दुख जतलाये !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


अवगुण के साथ गुण भी है, बुराई के साथ अच्छाई,

ज्ञान विज्ञान के मेले में, नई तकनीक है आयी !!

ओ मानव, मोबाइल ने बांधा तोहे।


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