STORYMIRROR

Bhagwati Saxena Gaur

Others

4  

Bhagwati Saxena Gaur

Others

यादे

यादे

1 min
310


आईना मुझे जो झुर्रियां चेहरे की दिखाने लगा,

कहा, कभी तशरीफ़ लाओ, मेरे मन की नगरी में,

दायरा बढ़ता गया, प्यार की नदियां बहती रही,

आज भी हसीं हैं, जवां है, मेरे दिल की नगरी !!

विचारों के बाग बगीचे, हरियाली में डूबे रहे !!


ये वर्षों के बदलाव ने मन को खूबसूरत बना दिया,

कई शहर बस गए हैं, मन के भीतर आना जरूर,

जीवन के प्रत्येक खूबसूरत रिश्तों की तहरीर मैने,

हृदय में अंकित रखा है, सजे विचारों से बाग बगीचे !!


दुनिया से जाने वाले भी, चले गए तो क्या,

मन की नगरी में विराजमान हो, मेरी आशाओं की,

गगरी प्रफुल्लित कर जाते हैं, खुश कर जाते हैं,

कभी तशरीफ़ तो लाओ, मेरे मन की नगरी में !!



Rate this content
Log in