कारवां
कारवां
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
शब्दो का कारवां गुजर रहा था,
मेरी आंखे शब्दो को गिरफ्त में लेने लगी,
शब्दो से प्यार हो गया,
और कविता का उदगार हुआ,
बस यही समझिए एक प्यारी मित्र मिली !
फिर शब्दो की कलियां चुनी,
रेखाओं ने सूत्र का रूप धारण कर,
शब्दो की माला पिरो दी,
जीवन आधार हो गयी ये कविताएं !
मेरा संसार बन गईं ये,
अब क्या किसी को सोचूं,
अब क्यों किसी को चाहूं,
प्यार हो गया है इन कविताओं से !
शब्दो का आकाश बहुत ऊंचा है,
समुद्र से भी गहरा है,
मैं डूबती उतराती रही,
इनकी जानकारियों में खोती रही,
ज्ञान का भंडार भरती रही !
फिर मेरे शब्दों का विस्तार हुआ,
पन्नो में बिखर कर,
किताब का स्वरूप धारण कर,
संसार मे चहलकदमी के लिए बेताब हुए !