जिन्दगी
जिन्दगी
इक उम्र बिता दी यारों, जिंदगी गिरवी रखकर,
छुड़ा लायी हूँ मैं, बचाकर सबकी नजरों से !!
झांका है खुद के मन में, हमने अब संभलकर,
न झगड़ा है न झंझट है, सिर्फ प्रेम ही प्रेम है !!
अब मस्त फूलों संग मुस्कराती है जिंदगी,
ओस की बूंदों में झिलमिलाती है ज़िंदगी !!
इक नजरिया है देखने का, एहसासों का मेला है,
मन में जो कृष्णा है तो अनुभूति मीरा हो गयी !!
सागर की लहरों पर खेलती भी है ज़िंदगी,
नदियों सी चंचल धारा भी है जिंदगी !!
धरती और आसमान का प्यार है ज़िंदगी
सूरज की किरणों सी चमकती है ज़िंदगी !!
शीतल सुहानी पूनम सी चांदनी है जिंदगी,
हवाओं के झोंकों में गुनगुनाती भी है जिंदगी !!
मानो तो खुशियों की सेज भी है जिंदगी,
वरना पीड़ाओं का पहाड़ है जिंदगी !!
यादों के एल्बम को सहेजती है जिंदगी,
सबको सच का आईना दिखाती है जिंदगी !!
