अभी ज़िंदा हैं
अभी ज़िंदा हैं
तेरे चाहने वाले मर मिटते हैं,
बेख़ौफ़ तेरे दीवाने हैं,
कुछ बात तो तुझमें ऐसी है,
कि सूली चढ़े परवाने हैं।
तू जुड़ा रहे, तू खड़ा रहे,
मदमस्त तेरे मस्ताने हैं,
तू अड़ा रहे, तू लड़ा रहे,
जीवंत तेरे वीराने हैं।
हो फना चलूँ, कर फना चलूँ,
तेरी राह में सब जश्न मनाने हैं,
जहां होते पैदा सूली चढ़ने वाले,
क्या ख़ूब वो पागलखाने हैं।
यहां राहें अलग, हैं सपने अलग,
हर डगर है तेरी धड़कन तक जाती,
हर शख्स अलग, हैं रूप अलग,
पर ये लहू बनाता तेरी माटी।
तू ही हिन्द, है सिन्ध भी तू,
क्या ख़ूब हर पर्वत-घाटी है,
तुझपे आता है घमंड मुझे,
कितनी चौड़ी तेरी ये छाती है।
पर मलाल है मुझमें एक दबा हुआ,
बिखरे पड़े तेरे टुकड़े हैं,
और है दर्द बड़ा एक छुपा हुआ,
की उन्होंने करे तेरे टुकड़े हैं।
ऐ भारत हम शर्मिंदा हैं,
तुझे तोड़ने की सोच अभी ज़िंदा है,
पर भरोसा रखना तुम हमपर,
हम पागल अभी भी ज़िंदा हैं।
