ये हरी भरी वसुंधरा हमारी निगहबान है, रंग भिन्न ,भाषा भिन्न और बोली भी भिन्न है। सबक ये हरी भरी वसुंधरा हमारी निगहबान है, रंग भिन्न ,भाषा भिन्न और बोली भी भिन्न ह...
कर्ण प्रिय वाणी तेरी, केश रात्रि की कालिमा। भक्ति की तू शक्ति, कर्ण प्रिय वाणी तेरी, केश रात्रि की कालिमा। भक्ति की तू शक्ति,
गुनगुनाती मुस्कुराती मेरी हर कविता से पूछो ! गुनगुनाती मुस्कुराती मेरी हर कविता से पूछो !
बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में। बढ़ी नदी उमंग से, बहे प्रपात धार में मनाएँ पर्व आ सखी, अनंत के विहार में।
मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण। मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण।
जन्म जन्म का प्यार है जन्म जन्म का प्यार है