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Shashi Dwivedi

Abstract

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Shashi Dwivedi

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माँ

माँ

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वसुंधरा सा धैर्य तुममे,

चांद सी शीतल है तू

नभ सा है विस्तृत हृदय,

प्रेम की मूरत है तू।


अवगुण तेरे संकीर्ण हैं,

तू सदगुणों की खान है।

क्तोध में आशीष है,

दंड में वरदान है।


प्रेम के प्यले तेरे दृग,

होठ सुबह की लालिमा।

कर्ण प्रिय वाणी तेरी,

केश रात्रि की कालिमा।


भक्ति की तू शक्ति,

काव्या की तू पंक्ति।

श्रद्धा की उत्पत्ती,

वात्सल्य की तू तृप्ति।


मातृत्व की परिभाषा,

करुणा की आशा।

मेरे भाव की भाषा

मेरी माँ

मेरी माँ।


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