हमारे शहर को ये क्या हो गया
हमारे शहर को ये क्या हो गया
हमारे शहर को ये क्या हो गया ?
मातम सा छाया,
मायूसी है फैली,
अखबारो में संख्या हैं हम,
कभी संक्रमित हैं हम,
कभी मृतकों में हम
Whatsup पे घूमते
Rip के मैसज हैं हम
हमारे शहरको ये क्या हो गया ।
अपनो ने अपनो को खोया यहाँ,
अपनो ने अपनो को छोड़ा यहाँ,
धोखा मिला,सहारा भी मिला
आइसोलेसन का दर्द सीने मे रहा
अपनो में अपनो को जाना यहाँ
किसका कहर बरपा यहाँ
हमारे शहर...................2
मूल्य,कर्तव्य,नैतिकता गिरी
भ्रष्टता ने अपना परचम लहराया
दया, प्रेम, मानवता
का प्रकाश भी फैला
हमारे शहर.................3
मिलते थे गले
खाते थे साथ
खेलते थे साथ
कचौड़ी,मिठाई,चाय और पान
खाकर ठहाके लगाते थे हम
सूनी हैं गलियाँ,सूनी दुकानें
आखिर वो दिन खोया कहाँ
हमारे शहर को ..........4
एम्बुलेन्स की आवाजें
कूह सी उठाता,
ओक्सिजन की कमी,
दवाईयों की कमी,
चेहरे पे मास्क
6 फिट की दूरी
संग में सेनिटाइज़र
जाने कोरोना ये क्या सिखा गया
हमारे शहर....................5
स्वाद की अहमियत,
सुगंध का आभास
परिवार की जरूरत
सांसो की कीमत
ओह !ये कोरोना जीना सिखा गया
हमारे शहर ...............6
पैक कोई अपना
चला जा रहा था
ना आने को फिर
छूकर के हम
अन्तिम विदाई दे भी नहीं पाये
ठिठके से हम
ये क्या हो गया
हमारे शहर को ये क्या हो गया।
