STORYMIRROR

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy Inspirational

3  

Prafulla Kumar Tripathi

Tragedy Inspirational

ज़िन्दगी..

ज़िन्दगी..

1 min
203

धूप है कि छांव है, 

ज़िन्दगी इक भूले बिसरे गांव हैं।


कुछ मिले , कुछ खो गये हैं, 

कुछ खिले , कुछ अध खिले हैं।

थक चुके अब चलते चलते पांव हैं, 

बीच दरिया आज डूबे नाव हैं।।

................ज़िन्दगी इक भूले बिसरे गांव हैं।

होश पाते ही हुआ, 

तन-मन पतंगा।

पिल पड़ा करने , 

कठौती में ही गंगा।।

मोह-माया में फंसी सब जान हैं, 

....... ज़िन्दगी इक भूले बिसरे गांव हैं।।

धूप है कि छांव है, 

ज़िन्दगी इक भूले बिसरे गांव हैं।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy