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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

एक रात ढलेगी. .

एक रात ढलेगी. .

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एक रात ढलेगी,

आंखों का दर्द सहेगी,

पतझड़ सी सुबह होगी,

सांसों का दम घुटेगी,

जिंदगी एक पहेली,

मौत इसकी सहेली,

बनती हस्ती का राग,

एक रात धुन मिटेगी,

एहसास जब होगा,

कोई तब साथ न होगा,

तेरी दशा खराब होगी,

वक्त की जब मार होगी


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