मेरा ग़म
मेरा ग़म
इतनी सादगी से इश्क़ ने मारा,
खंजर जिगर के पार हुआ है...
हालात ए दर्द बयां है,मुलाक़ात मुमकिन नहीं,
उम्मीद ए वफ़ा है, तो फिर मुश्किल नहीं...
मेरे दिल को दर्द का बिछौना देकर,
कहां चल दिए तुम मखमली बिस्तर....
ग़रीबी मौत दे जो मद्दा में हंसी दम निकले,मगर
बीमार न कर महंगाई में जो दर्द की दवा न मिले...
जब सांसे दिल का लिहाज़ करती है ,
तब जिंदगी आदमी से प्यार करती है....
गम ए जिंदगी कोई मसला नहीं है,
जो संभाले कोई ऐसा मिला नहीं है..
तवज्जो न दिया जिंदगी महरूम हो गयी,
सच्ची मोहब्बत में ईमान की तोहमत हो गयी...