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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

मेरा ग़म

मेरा ग़म

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हर चीज पुरानी होती है,

सिवाय एक तमन्ना के..

आहिस्ता आहिस्ता हिसाब लेती है जिंदगी,

कोई गरूर मत पाल मात देती है जिंदगी..

जिंदगी की हर शह में मुकाम बनकर गुजरा साल,

और फिर एक नया मुकाम लेकर खड़ा साल..

आज़ उदास है तेरा दिल, मतलब है कोई कातिल..

कोई बात नहीं दोस्त मर्जीयाँ है तुम्हारी,

ज़िन्दा रख या मिटा दे निशानियां हमारी..

आहिस्ता मरता देख ज़ब दिल उदास होता,

कहीं फिर अपना फिर कोई अपना नहीं होता..

कोई ज़ब नजरें मिलाने के काबिल न रहे,

उसे फिर गले लगाने की भूल कभी न करें..


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