मुझ में मैं
मुझ में मैं
मुझमें जल रही है चिंगारी
क्या लगता है तुम्हें जी रहा हूँ मैं
दूर खड़े सब देख रहा हूँ
बेबस हूं कुछ कहाँ कर पा रहा हूँ मैं
वक़्त को बस काट रहा हूं
जी के भी कहाँ जी पा रहा हूँ मैं
सूलग रहे हैं अरमान मेरे
जल जल कर धुआं धुआं हो रहा हूँ मैं
ख्वाहिशों के फूल मुरझा रहे
धीरे-धीरे दम तोड़ रहा हूँ मैं।
