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kacha jagdish

Abstract

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kacha jagdish

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जब सर्दी बोलती है

जब सर्दी बोलती है

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जब सर्दी बोलती है, हवाएँ गाती हैं,

सूने पेड़ों में कहानियाँ बुन जाती हैं।

बर्फ़ की चादर, धरती पे बिछती है,

सुकून की आवाज़ मन में सिहरती है।


हर सुबह धुंध में एक रहस्य लाती है,

ठंडी धूप में उम्मीद जगाती है।

सर्दी के संग ये संदेश है आता,

हर अंत के बाद, नया रास्ता मिलता है।


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