किसे पता
किसे पता
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न आरंभ का पता है, न अंत का
अधूरी सी है जिंदगी, कुछ सासों के सिवा
इस कहानी का रचनाकार कौन है किसे पता
सब किरदार है नाटक के यह किसे पता
इस रास्ते की मंजिल किसे पता
चलता जा रहा हूँ, रुकना कहाँ किसे पता
किस से करे शिकायत
यह हमे नहीं जानते
न इबादत रंग लायी
न महेनत काम आई
कोशिशें कुछ ओर की
हासिल कुछ ओर हुआ
मंजिल कहीं ओर थी
पहुंच कहीं ओर गए।