कभी सरिता, कभी तटिनी, तो कभी तरंगिणी कहलाती हूं। कभी सरिता, कभी तटिनी, तो कभी तरंगिणी कहलाती हूं।
गणतंत्र का चौथा स्तंभ हैं। सावधान, यही लोकतंत्र खत्म होने का आरंभ हैं। गणतंत्र का चौथा स्तंभ हैं। सावधान, यही लोकतंत्र खत्म होने का आरंभ हैं...
आरंभ हैं तो क्या हुआ हौसला प्रचंड हैं, प्रचंड हैं हौसला तो वो घमंड हैं क्या। आरंभ हैं तो क्या हुआ हौसला प्रचंड हैं, प्रचंड हैं हौसला तो वो घमंड हैं क्या।
पीड़ा हर ले एक दूजे की ऐसे वाक्यात करते हैं। पीड़ा हर ले एक दूजे की ऐसे वाक्यात करते हैं।
मैंने देखा, अंत से ही सृजन आरंभ होती है। मैंने देखा, अंत से ही सृजन आरंभ होती है।
आवो सब मिलकन धरबिन पाणी का गुण सब मा घुलमिलकन खरो रुपको नहीं सोडबीन गुण आवो सब मिलकन धरबिन पाणी का गुण सब मा घुलमिलकन खरो रुपको नहीं सोडबीन गुण