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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

कभी ख़ुश तो कभी उदास

कभी ख़ुश तो कभी उदास

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उसे याद करना कोई मजबूरी नहीं है,

बस दिल में बसी याद से दूरी नहीं है...

तू न सही तो कोई और समझेगा,

सच्ची मोहब्बत में दिल फिर डूबेगा..

तुम्हें दिल चाहकर भी भूलता नहीं है,

यह दिल किसी और का होता नहीं है..

चाहत को दिल में पालना इश्क़ होता है,

और सच्चा दिल चाहतों का घर होता है..

जिंदगी का अपना हिसाब है,

कभी ख़ुश तो कभी उदास है..

मिलते नहीं हैं अक्सर वो लोग,

जिनके लिए हम चाहते हैं रोज..


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