मेरा ग़म
मेरा ग़म
नादान है मेरा दिल जो वफ़ा की उम्मीद रखता है,
नहीं समझता दिल जिंदगी की हर सांस बेवफ़ा है...
सुबह हुयी है,
और गम का चिराग़ ज़ल रहा है,
अंधी मोहब्बत में रौशनी को ज़िन्दा दिल ज़ल रहा है...
दर्द का हद से बढ़ना,
कोई फिर दवा नहीं,
स्याह क़लम ए जज्बात,
गम को चैन मिलता नहीं..
सिसकियाँ लेता है दिल,
इश्क़ की हर सांस कातिल,
बर्बाद कर देती है मोहब्बत,
मुस्कराता है बेज़ुबान इश्क़...
मेरी साँसो का वजूद,
अब धीरे धीरे खत्म हो रहा है...
बहुत नाजुक हो गए हालात,
वक़्त ए मिजाज़ जी रहा है..
कोई मेरे घायल दिल से पूंछे,
कि यह तीर कहाँ से लगा है...