मेरा ग़म
मेरा ग़म
क्या सुनु क्या लिखूं,
जिंदगी झुनझुना हो गयी है,
कोई लय नहीं कोई ताल नहीं,
क्या गुनगुनाऊँ क्या कहूँ,
जिंदगी बेवफ़ा हो गयी है..
ज़ब इंसानियत का रुप हैवान हो जाता है,
तब भगवान भी जमीं पर उतर आता है...
फूलों की सेज पर दिल रोया है,
अर्थी उठाकर हर कंधा रोया है..
सांसे गिला नहीं मौत से दिल्लगी करती हैं,
टूटे दिल की छोड़ती सांसे बन्दगी में जीती हैं..
दिल की क़लम स्याही नहीं भरती है,
लहू लिखती जिंदगी क़लम नहीं मरती है...