STORYMIRROR

Shubhra Varshney

Tragedy

5.0  

Shubhra Varshney

Tragedy

कौन रखे देश का ख्याल

कौन रखे देश का ख्याल

1 min
509


न्यूज़ चैनलों पर देखिए बेमतलब सुरताल,

बहसबाजो की भीड़ और फिजूल के सवाल।


देश का विकास खाकर नेता हुए मालामाल,

रो-रो बताते हैं यह खुद को फिर भी कंगाल।


न्याय की आस में रोता इंसान और देश का हर लाल,

भैया ज्यादा थोड़े होते हैं दस पंद्रह साल।


ढेरों नेता घूम रहे लिए आंदोलन का ख्याल,

नौजवानों को भड़काने से ही तो गलेगी इन की दाल।


कैसी है अभिषेक की बेटी और कैसा है करीना का लाल,

क्या करें भैया है रिपोर्टरों की रोटी का सवाल।


टूटी सड़

कों और पुलों पर क्यों करते हो बवाल,

ना बनेंगे गर बार-बार तो कैसे सुधरेगा ठेकेदारों का हाल।


लाल गुलाबी गेंद के फेर में बहस करें हर साल,

पैसा अपना फूंक कर बढ़ाएं क्रिकेट का मायाजाल।


लिए हाथ फोन घूम रहे देश के नौनिहाल,

बस बढ़िया सेल्फी आ जाए पढ़ाई तो है बवाल।


कैसी है इसकी आंखें और कैसे हैं उसके बाल,

लेने दो भैया फोटो , फोटोग्राफर की इमेज का है सवाल।


पब्जी फ्री फायर खेलते युवा हो रहे बेहाल,

सब हैं अपनी में ही मस्त अब कौन रखें देश का ख्याल।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy