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Shubhra Varshney

Inspirational

4  

Shubhra Varshney

Inspirational

हर हर महादेव हरे

हर हर महादेव हरे

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352


मां पार्वती संग विराजे,

कैलाश पर कैलाश पति।

मूषक संग गणपति बैठे,

कार्तिकेय लिए है मोर खड़े।


शिव ही सत्य है शिव ही सुंदर

नमन करो हर विघ्न हरें।

करबद्ध हृदय से सब पुकारो

हर हर हर महादेव हरे।


शिव अनंत शिव ही भगवंत,

शिव है आदि और शिव ही अंत।

शिव ही शक्ति शिव से ही भक्ति

लिए डमरू त्रिपुरारी कल्याण करें।


सती की आह लिए

धरा से कैलाश तक।

गंगा का प्रवाह लिए

क्लान्ति से आभा लाएं।


शिव ही काल शिव ही कृपाल,

बैठ नंदी ले बरात चले।

भूत प्रेत आत्मा के साथ

भस्म लपेटे त्रिकाल चले।


मस्तक पर चंदा शीश में गंगा

त्रिनेत्र धारी भंडारी है भोले बड़े।

भस्म उड़ाते नाचते पिशाच

किए हुड़दंग संग ससुराल चले।


देख बरात सब मंगल गावे

पुष्प चढ़ावे स्वागत का थाल लिए। 

देख महादेव का रूप भयंकर

थर थर कांपे हरे हरे।


आगे बढ़ शैलपुत्री हार पहनावे,

वरण करें यही प्राण प्रिय।

शिवमय हो गई उमा कुमारी,

सिद्ध हुई शिवरात्रि करके शिव पार्वती की जय।


सब धामों से बढ़कर

महादेव उमा का धाम।

जो शाश्वत स्वामी सबके

बारंबार उन्हें नमन करें।


निहित रहे हैं हृदय कमल

रहें मंगलकर्ता प्रति पल।

सब पर जिसका उत्कृष्ट प्रेम

देवों के देव महादेव हरे।



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