धरती की पुकार
धरती की पुकार
बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले
इन ज़ालिमों के पंजों से बचा ले
ये हर रोज़ ही मेरा कत्ल करते हैं,
निरीह मानकर मुझे काटा करते हैं,
मुझे इन भू माफियों से तू बचा ले
इनके लिये में एक पत्थर का टुकड़ा हूं,
मुझे इन पत्थर दिलों से तू बचा ले
बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले
सबको ही ज़मीं लगती बहुत प्यारी है
इसके लिये लोगों में बहुत मारामारी है
मुझे लोगों की बुरी नज़रों से तू बचा ले
जैसे जैसे समय बदला है,
इंसान हो गया पगला है,
बदलते समय में,
इन इंसानी जानवरों से मुझे तू बचा ले
आज जनसंख्या जैसे जैसे बढ़ी है,
लोगों ने जबर्दस्ती कर दिया मुझे सती है,
मेरा दामन इन क़ातिल से तू बचा ले
बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले।
आज इंसान हो गया बहुत अंधा है
बहुत खनन कर हो गया वो गन्दा है,
मुझे इन चंदन सी बनावटी
खुश्बूवालों से तू बचा ले।
में पुकारती हूं,हे मेरे लाल
सीमा पर जैसे खड़ा तू,
बनकर दुश्मनों का काल
वैसे आजा देख मेरा बुरा हाल
गिध्दों सी नज़रें गड़ी तेरी मां पर,
आजा मुझे तू बचा ले।
इन इंसानों से हर साल
बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले
इन ज़ालिमों के पंजो से बचा ले।
