मरे जो देश की ख़ातिर
मरे जो देश की ख़ातिर
मरे जो देश की खातिर वही गुमनाम होते हैं
लुटे जो देश को हरदम उन्हीं के नाम होते हैं
नहीं इंसान कर पाता उसे भगवान कर देता
दवा से जो नहीं होते दुआ से काम होते हैं
यहीं पैदा सभी होते यहीं पे खाक होते हैं
करे जो खास दुनिया में उन्हीं के नाम होते हैं
भलाई जो करे वो तो यहाँ भगवान होते हैं
अहिल्या के लिए जैसे कि आये राम होते हैं
गरीबी में यहाँ जीना बड़ा मुश्किल हुआ यारों
नहीं कुछ भूख से बढ़कर कोई अरमान होते हैं
नहीं करना बुराई तुम कहा मेरा ज़रा मानो
बुराई का सदा जग में बुरे अंजाम होते हैं
यहाँ आलस किया हमने समय फिर रूठता हमसे
करे मेहनत यहाँ जो भी उसी के काम होते हैं
गरीबी भूख से मरती अमीरी मौज करती है
अनाजों से भरे सारे वहाँ गोदाम होते हैं
वो घोटाले करे "भाऊ" नहीं कुछ कर सके उनका
कोई रोटी चुरा ले भूख से कोहराम होते हैं।