भाऊराव महंत
Tragedy
होली अब सिन्दूर की, खेल रहे कुछ लोग।
जिसके कारण स्त्रियाँ, पातीं रहीं वियोग।।
होली दोहा
आज हम होली मे...
होली दोहा 05
होली दोहा 03
होली दोहा 01
होली हाइकू
होली कुंडलिया...
याद तो आए होंगे आंसू हमारे कभी तो मन में विचार आया तो होगा। याद तो आए होंगे आंसू हमारे कभी तो मन में विचार आया तो होगा।
इस स्थिति में कैसे कह दूं कि देश में अमन - शांति बहाल है? इस स्थिति में कैसे कह दूं कि देश में अमन - शांति बहाल है?
क्या पाती हैं बेटियां बहू बनकर छोड देना चाहिए घर अजनबी बन कर. क्या पाती हैं बेटियां बहू बनकर छोड देना चाहिए घर अजनबी बन कर.
जिन्हें हम फौलाद समझते रहे वो मोम से भी ज्यादा तरल निकले । जिन्हें हम फौलाद समझते रहे वो मोम से भी ज्यादा तरल निकले ।
स्त्री को महसूस होती है एक शख़्स की कमी। स्त्री को महसूस होती है एक शख़्स की कमी।
तुम और मैं पति पत्नी थे॥ तुम माँ बन गईं, मैं पिता रह गया। तुम और मैं पति पत्नी थे॥ तुम माँ बन गईं, मैं पिता रह गया।
क्या मैं जन्म से ही पराई हूँ? आपकी बेटी हूँ, माँ की जाई हूँ। क्या मैं जन्म से ही पराई हूँ? आपकी बेटी हूँ, माँ की जाई हूँ।
अब जाना हमने लोग क्यों मुकर जाते हैं बेचारे टूट कर इश्क़ में हद से जो बिखर जाते हैं अब जाना हमने लोग क्यों मुकर जाते हैं बेचारे टूट कर इश्क़ में हद से जो बिखर जा...
यह भय होता है न, मित्रों बड़ा ही नीच भय जीतो, फ़लक भी लोगे तुम खरीद। यह भय होता है न, मित्रों बड़ा ही नीच भय जीतो, फ़लक भी लोगे तुम खरीद।
बात है लड़की के सम्मान की पर दोषी भी उसी को ठहराता है बात है लड़की के सम्मान की पर दोषी भी उसी को ठहराता है
बंद हो ये खिलवाड़ सारा नारी कैद से आज़ाद हो। बंद हो ये खिलवाड़ सारा नारी कैद से आज़ाद हो।
कांधे पे लादे गठरी कुछ दो चार,अपने संग लिए भूखे परिवार। कांधे पे लादे गठरी कुछ दो चार,अपने संग लिए भूखे परिवार।
वो घाव याद आते हैं, तो दिल में दर्द दे जाते हैं। वो घाव याद आते हैं, तो दिल में दर्द दे जाते हैं।
नेताजी में मजदूर बोल रहा हूं। आज होकर मजबूर बोल रहा हूं। नेताजी में मजदूर बोल रहा हूं। आज होकर मजबूर बोल रहा हूं।
पीहर की मिट्टी का सोंधा मंज़र ताज़िंदगी तरोताजा रहता है। पीहर की मिट्टी का सोंधा मंज़र ताज़िंदगी तरोताजा रहता है।
बापू, फिर एक बार आ जाओ तुम बापू, फिर एक बार आ जाओ तुम। बापू, फिर एक बार आ जाओ तुम बापू, फिर एक बार आ जाओ तुम।
कैसे समझाऊं इस दिल को, ये दिल रह रह कर दुखता है।। कैसे समझाऊं इस दिल को, ये दिल रह रह कर दुखता है।।
अपने उड़ान को तू इतना ऊंचा कर फ़लक भी कह उठे कहां है, तेरे पर? अपने उड़ान को तू इतना ऊंचा कर फ़लक भी कह उठे कहां है, तेरे पर?
अब उसमें ही तुम्हारा अक्स में देख लिया करूँगी।। देख देख कर उसको ही ये नीरस जीवन जी लिय अब उसमें ही तुम्हारा अक्स में देख लिया करूँगी।। देख देख कर उसको ही ये नीरस जी...
पर फिर भी न खत्म होती इन बच्चों के फ़ोन चलाने की चाहत पर फिर भी न खत्म होती इन बच्चों के फ़ोन चलाने की चाहत