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भाऊराव महंत

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भाऊराव महंत

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होली दोहा

होली दोहा

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होली पर दोहा लिखूँ, और लिखूँ मैं गीत।

पढ़कर जिनको लोग सब, बन जाएँ बस मीत।।



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