चाह
चाह
हम नदी से
पानी नहीं
मिठास माँगेंगे,
प्यास बुझ जाये
तो पानी सर उठाये
मिठास ले जायेंगे दूर तक,
समुन्दर की तलहटी तक
शरबत करेंगे।
समुन्दर से पानी नहीं
नमक माँगेंगे
प्यास बुझ जाये
तो पानी सर उठाये
चाटेंगे दूर कहीं एकान्त में
जीवन में मिले हर घाव को
बहुत पड़पायेंगे
ठंड और सुकून पायेंगे।