_टेहलुआ
_टेहलुआ
गाँव का टेहलुआ
बियाह लाया है मैम शहर से
फिराता गाँव और कहता है
देखो मैम साहब
हम कहता था न
ये गाँव तुमको दिखता है
हमरा पैरिस है
अंधरे कुएं को बताता है
सोने की खान का रास्ता
मैम साहब की चिरौरी करता है
पूछ न बैठे कहीं
टेहलुआ का पिता कौन है
चाचा करता क्या है
गाँव में इसके खानदान का
रुत्बा कितना है
दिखाता है सब्ज़ बाग़
मैम साहब की जूती
रखता है सर पर
और कहता है
मैम साहब
तुम तो ई गाँव खरीद सकता है
तुमसे बढ़ कर कौन ?
मैम इतराती है
बल खाती है
मुस्काती है
और भूल जाती है
टेहलुआ की सारी वंशावली।
