उदासी की लकीरें
उदासी की लकीरें
मेरे चेहरे पर जो भी उदासी की
लकीरें देखते हो
तुम्हारे होकर भी नहीं होने की
वजह मांगती हैं
मेरे आंखों में जो भी नमी का
सैलाब देखते हो
बिना वजह रूठ जाने का
हिसाब मांगती है
मेरे दिल में जो भी दर्द की
सुइयां चुभती है
उन्हें महसूस नही कर पाने का
हिसाब मांगती हैं
मैंने तो जाने अनजाने जो भी हक
अदा किए हैं
जिंदगी उन हकों को पूरा करने का
सहाब मांगती है।।

