सब कुछ अधूरा
सब कुछ अधूरा
कभी मिलन अधूरा था
कभी ख्वाब अधूरा था
दिल में एक चाहत थी
जो तुम्हारे बिना अधूरी थी
कभी हम गमज़दा थे
कभी उनकी आंखें नम थी
समझाते कैसे अपने दिल को
कि हमारी मुस्कान अधूरी थी
सांसों से सांसों का उधार बाकी था
धड़कनों का धड़कनों से प्यार बाकी था
पाने की तुम्हें ख्वाहिश बहुत थी
पर शायद मेरी तलाश अधूरी थी
समेट लूं खुद से खुद को कितना
बंद कर लूं चाहे दरवाजे मन के
इस हकीकत से रूबरू कराना है
कि तुम्हें भुलाना मेरी मजबूरी थी।।
