अलख जगाए रखो
अलख जगाए रखो
मुश्किलें तो आती है
मगर राहें बदली नहीं जाती
कमजोर है वो लोग
जिनसे जिंदगी संभाली नहीं जाती
दुख, तकलीफ, दर्द
ये सब तो हमसफर है इनसे डरना कैसा
तवज्जो नहीं देता कोई
इस बात को सोच तिल तिल मरना कैसा
हार मान जाऊं किसी से ये
ऐसी फितरत नहींं गर तो हारने से घबराना कैसा
आगे बढ़ते रहो कि
मंजिल अपना ठिकाना ढूंढ ही लेगी
हावी होने न दो किसी को
उसकी तकदीर उसको ढूंढ ही लेगी
सपनो, ख्वाबो, अरमानो की अलख
जगाए रखो
यही आगे बढ़ने की नई उम्मीद,
नया हौसला देगी।।
